भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल प्रकृतिक सौंदर्य, प्राचीनता एवं आधूनिक नगरीय योजना का समागम है। यह एक ग्यारहवी शताब्दी का शहर है, पहले इसे अपने संस्थापक राजा भोज के नाम पर भोजपाल कहा जाता था, किन्तु वर्तमान शहर की स्थापना औरंगजेब के अफगान सेनापति दोस्त मोहम्मद(1707-40) ने की थी।
भोपाल की दो झीलों का आज भी यहाँ वर्चस्व है, जो कि शहर के केंद्र में स्थित हैं और इनके इर्द-गिर्द खड़े मूक प्रहरी इस शहर के विकास की गवाही देते है। आज भोपाल एक रंगबिरंगी छवि प्रस्तुत करता है जहां एक तरफ पुराना भोपाल अपने बाजारो और पुरानी एवं उत्कृष्ट मस्जिदों और महलों के द्वारा अपने पुराने शासकों और प्रभावशाली बेगुमों जिन्होने 1819 से 1926 तक भोपाल पर शासन किया था, उनकी शाही छाप प्रस्तुत करना है। उतना ही उत्कृष्ट नया भोपल अपने हरे-भरे एवं नज़ाकत से बने हुए उढ्यानों एवं बग़ीचो, चौड़े रास्तों एवं सुप्रवाही इमारतों के कारण है।
ताज उल मसाजिद देश की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ(1888-1901) के काल में प्रारम्भ हुआ था किन्तु उनकी मृत्यु उपरांत वर्ष 1971 में जाकर पूर्ण हुआ। इस मस्जिद की सबसे प्रभावशाली विशेषताओं में है उसका महराबदार सभाभवन, विस्तृत अग्रभाग, विशाल अहाता एवं निर्बाध संगमरमर का फर्श।
भारत भवन(प्रतिदिन केवल सोमवार छोड़कर) भारत का सबसे अनूठा संस्थान है। यह रंग कलाओं और प्रदर्शन कलाओं का केंद्र है। प्रख्यात शिल्पकार चार्ल्स कोरिया ने भारत भवन की परिकल्पना की थी। यहाँ पर कला संघ्राहालय, कला वीथिका, ललित कला कर्मशाला, रेपेरटरी थीयेटर, अंतरंग एवं बहिरंग मंच, पूर्वाभ्यास कक्ष एवं भारतीय कवीता, शास्त्रीय एवं लोक संगीत से संबन्धित पुस्तकालय हैं।
मानव संग्रहालय (प्रतिदिन केवल सोमवार छोड़कर) श्यामला हिल्स पर स्थित जनजातीय निवास स्थान को प्रदर्शित करने वाला एक मुक्त प्रदर्शन स्थल है। यहाँ पर एक खुले प्रदर्शन स्थल के माध्यम से मुख्यतः शिल्पकला को प्रदर्शित किया गया है। शिल्पकला के साथ ही आदिवासी घरों की अंतरंग रूपरेखा को भी विस्तारपूर्वक प्रदर्शित किया गया है। आस-पास के परिवेश का आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों से मेल खाने हेतु पुनर्निर्माण किया गया है। इसके साथ ही समीप में स्थित वन-विहार का दर्शन भी कर सकते हैं। भोपाल में ख़रीदारी करने हेतु प्रमुख स्थल हैं नए भोपाल स्थित न्यू मार्केट एवं पुराने भोपाल स्थित चौक बाज़ार। ज़री से बने हुए शोल्डर बैग भोपाल की विशेषता हैं।
भोपाल से 45 कि.मी उत्तर पूर्व में बौद्ध नगर सांची स्थित है। एक ब्रिटिश अधिकारी द्वरा वर्ष 1818 ई. में संयोगवश खोजे गए इस नगर को उसकी प्राचीन गरिमा वर्ष 1919 ई. में प्रदान की गई और तब से ही ये नगर विश्व में बौद्ध स्थापत्य का महत्वपूर्ण स्थान है। तीसरी शताब्दी ई.पू. में अशोक द्वारा निर्मित मुख्य स्तूप के इर्द-गिर्द कई प्राचीन मंदिर एवं मठ हैं। 10 कि.मी की दूरी पर स्थित विदीशा का भ्रमण किया जा सकता है जो कि दूसरी एवं तीसरी शताब्दी ई.पू. में एक महत्वपूर्ण स्थल था।